Tulsidas ka jivan parichay in hindi | तुलसीदास जी का जीवन परिचय | Tulsidas Biography in Hindi

Tulsidas ka jivan parichay in hindi- तुलसीदास जी का जीवन परिचय – Tulsidas Biography in Hindi

गोस्वामी तुलसीदास (1511 ई० – 1623 ई०) हिंदी साहित्य के एक महान कवि थे । तुलसीदास विश्व साहित्य के महान कवियों में से एक है , इनके द्वारा लिखी गयी महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेस्ट काव्यों में 46वाँ  स्थान दिया गया है । तुलसीदास जी के द्वारा लिखी गयी  श्रीरामचरितमानस एक लोक ग्रन्थ है जिसको पुरे उत्तर भारत में बहुत ही भक्ति भाव से पढ़ा जाता है , आप यदि उत्तर भारत के किसी भी हिन्दू धर्म के घर में जायेंगे तो आपको श्रीरामचरितमानस ग्रन्थ जरूर मिल जायेगा ।

तुलसीदास जी को रामायण के रचयिता वाल्मीकि जी का  कलियुग का अवतार भी माना जाता है , तुलसीदास जी भगवान् राम जी के भक्ति में इतना लीन थे की वे श्रीरामचरितमानस  महाकाव्य के लेखक के रूप में हनुमान चालीसा के रचयिता के रूप में भी जाने जाते थे , एक तरह से कहा जाए तो कलियुग में उनसे बढ़ा राम भक्त और कोई नहीं मिलेगा |

तुलसीदास जी का जीवन परिचय – Biography of Tulsidas in Hindi

तुलसीदास जी के बारे में – Tulsidas Information in Hindi – (Tulsidas Biography in Hindi)

पूरा नाम (Name) गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas)
जन्म (Birthday) रामबोला 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) , सोरों शूकरक्षेत्र, कासगंज , उत्तर प्रदेश, भारत
जन्मस्थान (Birthplace)  सोरों शूकरक्षेत्र, कासगंज , उत्तर प्रदेश, भारत
पिता (Father Name) आत्माराम दुबे
माता (Mother Name) हुलसी देवी
शिक्षा (Education) बचपन से ही वेद, पुराण एवं उपनिषदों की शिक्षा मिली थी।
विवाह (Wife Name) रत्नावली के साथ।
बच्चे (Son Name) तारक
खिताब/सम्मान गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि
गुरु / शिक्षक (Guru) नरहरिदास
साहित्यिक कार्य (Rachnaye) रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली,
हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि
कथन (Quotes) सीयराममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥
धर्म हिन्दू हिन्दू

 

तुलसीदास जी का जन्म एवं जन्म स्थान – Tulsidas ji ka janam and Tulsidas ji ka Janam Sthan – (Tulsidas jeevan parichay in hindi )

तुलसीदास (Tulsidas) जी का जन्म 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०) में हुआ था किन्तु  इनका जन्म स्थान बहुत ही विवादित है , कुछ लोगो का मानना है इनका  जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था , जबकि कुछ लोग मानते है कि इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ  था । इनके जन्म के सम्बन्ध में निचे लिखा गया दोहा बहुत ही प्रसिद्व  है ।

“पन्द्रह सौ चौवन विसे कालिन्दी के तीर।

श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धरयो शरीर।।


तुलसी दास जी के माता-पिता: Tulsidas ji ke Mata Pita

तुलसीदास (Tulsidas) जी के पिता का नाम श्री आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था । 1511 ई० के श्रावण मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में आत्माराम दुबे और हुलसी नामक दम्पति के यहाँ तुलसीदास जी का जन्म हुआ था , कई लोग मानते है कि – तुलसीदास पराशर गोत्र (वंशावली) का एक सारूपरेन ब्राह्मण थे, जबकि कुछ लोगो का मानना था कि  वह कन्याकुब्जा या संध्याय ब्राह्मण थे।


तुलसीदास (Tulsidas) जी का कैसे पड़ा रामबोला नाम 

ऐसा बोला जाता है कि ये अपने माँ के गर्भ में बारह महीने तक रहने के कारण बहुत ही तंदरुस्त थे और उनके मुख में दांत भी दिखाई देता था ,  जन्म लेने के साथ ही उन्होंने  राम नाम का उच्चारण किया जिससे उनका  नाम रामबोला पड़ गया। उनके जन्म के दूसरे दिन ही माँ का निधन हो गया था ।


बचपन : Tulsidas ji ka bachpan (Goswami Tulsidas Biography in hindi)

तुलसीदास जी के माता के निधन के बाद इनके पिता जी ने इनको चुनियाँ नाम की एक दासी  के हवाले कर दिया ताकि इनका अच्छी तरह देख रेख हो सके और खुद विरक्त हो गए , किन्तु इनके जीवन में अभी बहुत सारी कठनाइयों का सामना करना बाकी था , अभी वो पांच साल के ही हुए थे कि चुनियाँ भी मृत्यु लोक को प्राप्त हो गयी अब वो बिलकुल अकेले हो गए थे । उनका बचपन अनाथों कि तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया था , उन्होंने अपना  बचपन बहुत ही कठनाइयों कि तरह व्यतीत किया ।


तुलसीदास के गुरु एवं शिक्षा : Tulsidas ke Guru aur Siksha 

तुलसीदास जी के माता – पिता और चुनियाँ के जाने के बाद ये जब बिल्कुल अकेले रह गए थे तब रामानंद के मठवासी आदेश  पर  श्री नरहरिदास जी ने इनको अपने आश्रम में लेकर आये और इनका नाम तुलसीराम  रखा वहीँ से इनका नाम – तुलसीराम  (Tulsiram) पड़ गया । 

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तुलसीदास जी का विवाह : Tulsidas ji ka vivah

तुलसीदास जी का विवाह संवत् 1583 को 29 वर्ष की आयु में राजापुर से थोडी ही दूर पर  यमुना नदी  के उस पार स्थित एक छोटा सा  गाँव की एक अति सुन्दरी भारद्वाज गोत्र की कन्या रत्नावली के साथ उनका विवाह सम्पन हुआ था । 


तुलसीदास नाम कैसे पड़ा :

एक दिन उन्हें अपनी पत्नी कि बहुत याद आयी और उनसे जब रहा नहीं गया तब वो अपने गुरूजी से आज्ञा लेकर वे अपनी पत्नी से मिलने उनके घर चले गए , उस समय अभी गौना नहीं हुआ था और और उनकी पत्नी उस समय अपने मायके में ही रहा करती थी , जब उनकी पत्नी रत्नावली अपने पति को इतनी रात अपने कक्ष में देखकर इतना आश्चर्यचकित रह गयी कि उसी समय उनकी पत्नी ने तुलसीदास जी को चले जाने को कहा परन्तु तुलसीदास जी ने बहुत ही जिद पकड़ लिया था , वो चाहते थे कि उनकी पत्नी इसी समय उनके साथ चली जाये | उनकी इस  जिद से गुस्से में आकर उनकी पत्नी  रत्नावली ने एक दोहे के माध्यम से उन्हें जो शिक्षा दी उसने ही तुलसीराम को तुलसीदास बना दिया । वह दोहा कुछ इस प्रकार है :-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !

नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?

इस श्लोक के माध्यम से रत्नावली ने तुलसीदास जी से कहा कि –  हाड़ मांस के शरीर से आप जितना प्रेम करते हैं, अगर उसके आधा प्रेम आप भगवान राम से कर लें तो आप भाव सागर से पार हो जाएंगे।

तुलसीदास पर इसका बहुत ही गहरा प्रभाव हुआ  और  तुरंत ही उन्होनें  अपना परिवारिक जीवन को  त्याग  दिया और उन्होनें रत्नावली को अपने पिता के घर छोड़कर वे अपने गांव राजापुर लौट आए। और भगवान राम की भक्ति में लीन हो गए  और यहीं से तुलसीदास जी का  नया जन्म हुआ ।


भगवान श्री राम जी से भेंट : (Tulsidas  ka jivan parichay in hindi)

कुछ समय राजापुर रहने के बाद वे कशी चले गए और वहाँ राम कथा सुनाने लगे , वहीँ पर किसी ने हनुमान जी का पता बतलाया  , हनुमान जी से मिलने के बाद तुलसीदास जी ने श्री राम जी से मिलने की प्राथना की , तब हनुमान जी ने उनको चित्रकूट में दर्शन होंगे ये कह कर हनुमान जी वहाँ से चले गए ।

तब तुलसीदास जी ने चित्रकूट के तरफ प्रस्थान किया , चित्रकूट पहुंचने के बाद रामघाट पर अपना कुटिया जमाया और वहीँ से श्री राम जी का कथा गुणगान करने लगे , एक दिन जब अचानक वो कहीं जा रहे थे तब उन्हें भगवन श्री राम जी के दर्शन हुए परन्तु वो पहचान नहीं सके । तभी अचानक वहां पर हनुमान जी आये और उन्होंने बताया अभी श्री राम जी ने आपको दर्शन दिया था , ये सुनकर तुलसीदास जी को बहुत ही पछतावा हुआ और अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर सकते मन में ऐसा ख्याल आने लगा ।

तुलसीदास जी ने हनुमान जी से एक बार और श्री राम जी के दर्शन करने की इच्छा जताई , तब हनुमान जी ने उन्हें इस पर सात्वना दी और कहा प्रातःकाल फिर दर्शन होंगे।

संवत्‌ 1607 की मौनी अमावस्या को बुधवार के दिन उनके सामने भगवान श्री राम जी पुनः प्रकट हुए । इस बार भगवन श्री राम जी एक बालक के रूप में प्रकट हुए थे और तुलसीदास जी से बोले – बाबा ! हमे चन्दन चाहिए क्या आप हमे दे सकते है ? हनुमान जी सब देख रहे थे और उन्होंने सोचा कहीं तुलसीदास जी इस बार भी नहीं पहचान सके तो , ये सोचकर उन्होंने एक तोते  का रूप ले लिया और एक दोहा सुनाने लगे –

चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर।

तुलसिदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥

ये दोहा सुनते ही तुलसीदास जी ने भगवान् श्री राम जी को पहचान लिया और वो मंत्र मुग्ध हो गए और भगवान श्री राम  ने स्वयं अपने हाथ से चन्दन लेकर अपने तथा तुलसीदास जी के मस्तक पर लगाया और अन्तर्ध्यान हो गये।


तुलसीदास जी की मृत्यु – Tulsidas ji Ki Mrityu 

तुलसीदास जी ने अपने मृत्यु के अंतिम समय कशी में गंगा नदी के किनारे अस्सी घाट पर राम – नाम का स्मरण करके बिताया , ऐसा कहा जाता है की अपने मृत्यु से पहले आखिरी कृति विनय – पत्रिका लिखा था जिस पर खुद भगवन श्री राम जी ने हस्ताक्षर किए थे।

उनकी मृत्यु  संवत्‌ 1680 में श्रावण कृष्ण तृतीया शनिवार को तुलसीदास जी ने “राम-राम” कहते हुए अपना शरीर  का त्याग कर दिया ।


तुलसीदास जी के रचनाएँ – (Tulsidas ka jivan parichay in hindi)

तुलसीदास जी एक महान लेखक के साथ साथ एक महान कवि थे , उनके  द्वारा रचित रचनाओं  को भाषाओं के आधार पर उन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया है जो निचे दिए गए है –

अवधी कार्य – रामचरितमानस ( Ramcharitmanas), रामलला नहछू, बरवाई रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल और रामाज्ञा प्रश्न।

ब्रज कार्य – कृष्णा गीतावली (Krishna Gitavali), गीतावली, साहित्य रत्न, दोहावली (Dohavali), वैराग्य संदीपनी और विनय पत्रिका।

इन 12 रचनाओं के अलावा तुलसीदास द्वारा रचित 4 और रचनाएं काफी मशहूर हैं जिनमे मुख्य रूप से हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa), हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak), हनुमान बहुक (Hanuman Bahuk) और तुलसी सतसाई शामिल है।


तुलसीदास जी की प्रमुख रचनाएं – Tulsidas Poems in Hindi

तुलसीदास जी की कुछ प्रमुख रचनाये  इस प्रकार से हैं –

रामललानहछू कवित्त रामायण झूलना
वैराग्य-संदीपनी छप्पय रामायण रोला रामायण
बरवै रामायण कुंडलिया रामायण राम शलाका
कलिधर्माधर्म निरुपण छंदावली रामायण कवितावली
सतसई पार्वती-मंगल दोहावली
जानकी-मंगल श्रीकृष्ण-गीतावली रामाज्ञाप्रश्न
गीतावली विनयपत्रिका संकट मोचन

 


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गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे- Tulsidas ke dohe in hindi

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