संत रविदास के दोहे 2021 – Sant Ravidas Dohe in Hindi – Sant Ravidas Shloks & Quotes

संत रविदास के दोहे 2021 – Sant Ravidas Dohe in Hindi – Sant Ravidas Shloks & Quotes, Sant Ravidas ke best Quotes in Hindi

संत रविदास दोहे कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।
रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।
हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।
हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।
वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।
हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।।

संत रविदास दोहे (Sant Ravidas Dohe)
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।

 रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
Sant Ravidas Dohe in Hindi

” ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण ” 

किसी भी  व्यक्ति को सिर्फ इसलिए नहीं पूजना चाहिए क्योंकि वह किसी ऊंचे कुल में जन्मा लिया है. यदि उस व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसे नहीं पूजना चाहिए, उसकी जगह अगर कोई व्यक्ति गुणवान है तो उसका सम्मान करना चाहिए, भले ही वह कथित नीची जाति से हो.

(Ravidas Ji Ke Dohe) –

दोहा – “मन चंगा तो कठौती में गंगा”

हिन्दी  में अर्थ :- रविदास जी कहते है की यदि आपका मन और हृदय पवित्र है साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है

(Ravidas Ji Ke Dohe in Hindi)

दोहा – ” हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।

ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास “

हिन्दी अर्थ – इस दोहे में  रविदास जी कहते है की हीरे से बहुमूल्य हरि यानि ईश्वर को छोड़कर अन्य चीजो की आशा करते है उन्हें अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है अर्थात प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर उधर भटकना व्यर्थ है।

संत रविदास के दोहे

दोहा – जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड में बास

प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास

हिन्दी अर्थ –( जिस रविदास को देखने से लोगों को घृणा आती थी, जिनके रहने का स्थान नर्क-कुंड के समान था, ऐसे रविदास का ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना, ऐसा ही है जैसे मनुष्य के रूप में दोबारा से उत्पत्ति हुई हो ।  )

 

दोहा – जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,

रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात

हिन्दी अर्थ – जिस प्रकार केले के तने को छीला तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है. ठीक उसी तरह इंसानों को भी जातियों में बांट दिया गया है, जातियों के विभाजन से इंसान तो अलग-अलग बंट ही जाते हैं, अंत में इंसान खत्म भी हो जाते हैं, लेकिन यह जाति खत्म नही होती ।

Sant ravidas quotes in hindi 

“कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै। 

तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।।

” “कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा। 

वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।

” “हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।

 ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास।।”

 

दोहे संत रविदास/रैदास जी

ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न।

छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।।

 

Sant Ravidas Dohe in Hindi

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।

रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।

 

हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।

दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।

 

यह भी पढ़ें : Top 25+ Kabir Ke Dohe In Hindi

उम्मीद है कि आपको यह सभी दोहे पसंद आये होंगे। समय समय पर हम और दोहे ऐड करते रहेंगे और इनके मीनिंग भी ऐड करेंगे।

Leave a Comment