कैसे हुआ कलयुग की शुरुआत? – kalyug ki shuruaat in hindi

कलयुग की शुरुआत! (Kalyug ki shuruaat)
क्या आपको पता है कलयुग का शुरुआत कैसे हुआ था?

कलयुग का शुरुआत(kalyug ki shuruaat) महाभारत के युद्ध(3137ईपू) और श्रीक़ृष्ण के इस युद्ध के 35 वर्ष(मृत्यु) के  बाद शुरू हुआ।

जैसा की हम जानते है पुराणों मे चार युगो के बिषय मे बताया गया है-सतयुग, त्रेता(रामायण युग), द्वापर युग(महाभारत युग) और कलयुग(लालच, क्रोध, प्रतिशोध, आतंक, अहंकार)| आज हम जिस कलयुग मे रह रहे है यह एक तरह का श्राप है जिसको हर  एक व्यकति को भुगतना है, जो इस धरती पे जनम लिया है उसको और जो जनम लेकर मृत्यु पा गया वो भुगत कर चला गया | आज का कलयुग अत्याधुनिक है जिसमे हम एक से एक खोज कर रहे है, परंतु इसका अंत भी बहुत दुखदाई होगा, खैर ये जब होगा तब होगा आज हम आपको कलयुग के जनम के बारे मे प्रकाश डालते है॥

कलयुग की शुरुआत(kalyug ki shuruaat in hindi)- पौराणिक कथा के अनुसार

ये बात है महाभारत काल की जब धर्मराज युधिष्ठिर अपना सब राजपाट परीक्षित को सौंपकर मोक्ष के प्राप्ति के लिए हिमालय के तरफ चलने लगे। राजा परीक्षित ने पूरा राजपाट को अच्छी तरह संभाला। राजा परीक्षित का विवाह  उत्तर नरेश की पुत्री इरावती के साथ हुआ।

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बैलधर्मऔर गौरूपिणी पृथ्वी की भेंट

धर्म ने बैल का रूप लेकर और पृथ्वी ने गौरूपिणी का रूप लेकर सरस्वती तट पे भेंट किया।  गौरूपिणी पृथ्वी का नैन आंशुओ से भरा हुआ था तब धर्म ने पृथ्वी से पूछा है पृथ्वी तुम इतना दुखी क्यो हो आज तुम्हारे नैन आंशुओ से क्यो भरा हुआ है?

धर्म ने पृथ्वी से बोला कहीं तुम्हें इस बात का चिंता तो नही सता रही की मेरा अब एक ही पैर रह गया है? तब पृथ्वी ने बोला- हे धर्म आप तो सबकुछ जानकार भी अंजान बन रही है, आपको तो पता ही है की अब घोर कलयुग का छाया मेरे उपर आ गया है, अब मेरा सौभागाया समाप्त होने वाला है जिस भगवान श्रीक़ृष्ण की छाया मेरे उपर थी अब वो सौभागाया समाप्त हो जाएगा। इतना कहकर पृथ्वी धर्म के आगे रोने लगी।

जब धर्म और पृथ्वी ये बातें कर रहे थे तब शूद्र के रूप मे कलयुग आया और उन दोनों को डंडे से मारने लगा। तभी राजा परीक्षित वहाँ से गुजर रहे थे और ये सब देख कर अपना धनुष पे वाण को चढ़ाकर ललकारते हुए शूद्र से बोले – हे शूद्र तुम गाये और बैल को डंडे से क्यो मार रहे हो मै तुम्हारे इस अपराध के लिए प्राण दंड दूंगा। यह सुनकर शूद्र डर से कापने लगा।

राजा परीक्षित ने बैल से पूछा- हे बैल तुम्हारे तीन पैर कैसे टूटे, आप बैल हो या कोई देवता। राजा परीक्षित ने बैल और गाये से बोले की आप लोग अपना अपना दुख बिना डरे एक एक करके मुझे बताये मै दुस्तों का विनाश करता हूँ, तब बैल और गाये ने अपनी अपनी बातें राजा को विस्तार से बतया।

राजा परीक्षित ने उनकी बातें सुनकर तुरंत बैल और गाये को पहेंचान लिया और बोले- हे बैल आप कोई और नही धर्म हो और ये गाये के रूप में पृथ्वीमाता है। राजा परीक्षित ने धर्म से बोला- हे धर्म आप सतयुग मे चार पैर, त्रेता युग मे तीन पैर, द्वापर युग मे दो पैर और इस शूद्र के कारण कलयुग मे एक ही पैर रह गया है। अब कलयुग इस पैर को भी नस्ट कर देगा और पूरे संसार को विनाश(लोभ, क्रोध, लालच, आतंक) मे ढकेल देगा। इसी कारण मे दुखी हूँ।
राजा परीक्षित और कलयुग का संवाद
राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और उस मुकटधारी शूद्र के गर्दन पे रख दिया। शूद्र ने अपने असली रूप(कलयुग) मे आया और बोला- हे राजा परीक्षित आप तो बहुत शरणागत है। आप अपने शरण मे ले लीजिये। तब राजा ने उसको मारना उचित नही समझा और बोले- हे कलयुग  हमारा राज्य छोड़ कर चले जाओ तुम्हारा इसी मे भला है क्योकि अधर्म, पाप, लालच , चोरी, कपट आदि का कारण तु ही है।

तब कलयुग ने बोला- हे राजन आपका राज्य तो सम्पूर्ण पृथ्वी ही है तो आप अपने राज्य मे कोई एक जगह दे दीजिये जहाँ मै रह सकूँ।  राजा परीक्षित बहुत सोच मे पर गए और तब राजा ने बोला- हे कलयुग तुम असत्य, मद, काम और क्रोध का जहां निवास होता है वहाँ रह सकते हो। परंतु कलयुग ने बोला ये स्थान अप्रयप्त है मुझे और भी जगह दीजिये।

राजा परीक्षित ने कुछ देर और सोंचा और बोले – हे कलयुग तुम सोना मै रह सकते हो। ये सुनकर कलयुग ने बोला ठीक है और  जब राजा कुछ दूर चलने लगे तभी कलयुग ने राजा के मुकुट मे अपना घर बना लिया।

राजा परीक्षित का अंत

राजा परीक्षित शिकार पे निकल गए और बहुत देर तक भटकने के बाद उनको प्यास और भूख के मारे बुरा हाल होने लगा तब वो शमिक ऋषि के आश्रम पहुंचे। ऋषि समाधि मे लीन थे राजा ने उन्हे तीन-चार बार आवाज़ दिया परंतु ऋषि के तरफ से कोई हलचल ना होने का कारण राजा परीक्षित बहुत क्रोध हुए। ये सब राजा परीक्षित के मुकुट में बैठा कलयुग कर रहा था। राजा परीक्षित ने क्रोध मे आकर एक मरे हुए साँप को उनके गर्दन मे लटका कर चले गए। शमिक ऋषि का पुत्र श्रिंगिु बडा ही तेजस्‍वी था वो उस समय नदी मे श्नान कर रहे थे, कुछ ऋषि कुमारों ने जाकर पूरी घटना को शमिक ऋषि का पुत्र श्रिंगिु को बताया। क्रोध मे आकर श्रिंगिु ने राजा परीक्षित को श्राप दे डाला आज से ठीक सांतवे दिन एक नाग के काटने के कारण प्रचंड अग्नि में जलकर भस्म हो जायेगा। और ठीक सांतवे दिन एक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई और फिर कलयुग ने अपना विकट रूप धारण कर लिया।

इस तरह कलयुग का शुरुआत हुआ।

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