ख़ुदी को कर बुलंद इतना(Allama Iqbal- Khudi ko kar Buland Itna)

खुदी को कर तू बुलंद इतना

 

“ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

 

अल्लामा इक़बाल (Allama Iqbal) द्वारा लिखी गयी ये खूबसूरत पंक्तियाँ तो आपने ज़रूर ही सुनी होंगी| पर क्या इनका अर्थ समझ पाये कभी? मैं अक्सर अपने पापा को ये बोलते सुनती थी बचपन में| बहुत बार पापा ने समझाया भी था इनका अर्थ, पर शायद तब इतनी गहराई तक समझने की अकल नहीं थी मुझमे| आज जब याद करती हूँ ये पंक्तियाँ तो पापा के शब्द ही कानो में घूंजने लगते हैं,जिस तरह से वह पूरे मन से इन पंक्तियों को बोलते थे पूरे भाव के साथ|

अच्छी कविताओ या पंक्तियों की यही तो खासियत होती है की हर इंसान के लिए इसका एक अलग मतलब हो सकता है|

हम लोग अक्सर यह कहते हैं या दूसरों को कहते सुनते हैं कि “जो किस्मत में होगा वो तो मिलेगा ही” या “जो किस्मत में है उससे ज़्यादा कुछ नहीं मिलता”| क्या हमारा ऐसी सोच रखना सही है? ज़रा सोचिए अगर इंसान मेहनत ही न करे और केवल भगवान के भरोसे या क्सिमत के भरोसे बैठा रहे तो क्या कभी सफल हो सकता है? या अपना पूरा प्रयत्न किए बिना इस आशा में रहे की किस्मत अच्छी होगी तो ये मुझे मिल जाएगा?

दूसरी तरफ एक ऐसा इंसान है जो अथक प्रयास किए जा रहा है| बिना हारे, बिना थके दिन प्रतिदिन अपना 100% एफर्ट(Effort) या कोशिश कर रहा है| तो आप ही बताइये किस्मत किसकी चमकेगी? अक्सर हम तब हार मान लेते हैं जब हम मंज़िल के बहुत करीब होते हैं| एक कहावत भी है की “रात सबसे ज़्यादा अंधेरी दिन के शुरू होने से थोड़ा पहले ही होती है” मतलब अक्सर सबसे ज़्यादा मुश्किल घड़ी मंज़िल के बहुत करीब पहुँचने पर महसूस होती है। जो इंसान इसको समझ गया बस वह कामयाब हो जाता है| और जो इस आखरी मक़ाम पर आकार यह सोचकर रुक जाता है की बस अब इससे ज़्यादा नहीं कर सकता मै और अब यह मेरी किस्मत में ही नहीं है वो अक्सर बाद में पछताता है की काश बस थोड़ी से और मेहनत कर लिया होता तो आज मुझे भी कामयाब हो गया होता।

पर जीवन विडम्बना तो देखिये जब एक इंसान कामयाब हो जाता है तो लोग बोलते हैं की “उसकी किस्मत बहुत अच्छी है जो इतना कामयाब हो गया और आज इतनी अच्छी जगह पर है| कोई यह जानने की कोशिश तक नहीं करता की जाने कितनी राते और दिन पसीना बहाया होगा उसने उस जगह पर पहुँचने के लिए जिसे आप लोग किस्मत की देन बोल रहे हैं।

कुछ हद तक किस्मत कहीं न कहीं जुड़ी होती है हमारी लाइफ(Life) से, मगर किस्मत भी उनही का साथ देती हैं जो मेहनत करना जानते हैं। एक दो बार तो आपको बिना मेहनत किए केवल किस्मत के बल पर कुछ मिल सकता है पर बार बार नहीं।

इन खूबसूरत पंक्तियों से इक़बाल(Allama Iqbal)जी हमें यही बताने की कोशिश कर रहे हैं की खुद को इतना बुलंद करो मतलब इतनी मेहनत करो की किस्मत लिखने वाला खुदा या भगवान खुद आकार तुमसे पूछे की बता तेरी रज़ा क्या है मतलब तुझे क्या चाहिए| तो इस तरह हम अपनी मेहनत से खुद अपनी किस्मत लिख सकते हैं। राज कुमार जी ने बहुत ही खूबसूरती से इस मूवी में यह पंक्तियाँ बोलीं हैं:

 

 

 

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