शिक्षक दिवस 2020 | Teacher’s Day 2020
गुरू गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाव, बलिहारी गुरू आपने, गोविंद दियो बताय
भारत के इतिहास में हमेशा से ही शिक्षक का स्थान सबसे उच्च माना गया है। एक शिक्षक ही वह इंसान होता है जो निःस्वार्थ भावना से अपने शिष्यों को ज्ञान का प्रकाश देता है।
और बदले में उसे बस आपसे यह उम्मीद होती है कि आप पूरे मन से उनकी बातों को समझे और अमल में लाएं जिससे किसी और को नहीं बल्कि आपका ही जीवन अच्छा बनेगा।
शिक्षकों के इस महत्व को हम हर साल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मानते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि यह दिन क्यों चुना गया शिक्षक दिवस के लिए ? अगर नहीं तो आगे हम आपको इस दिन का पूरा महत्व बता रहे हैं। इसे पूरा ज़रूर पढ़िए।
शिक्षक दिवस 2020 | Teacher’s Day 2020: निबंध, शायरी, महत्व, भाषण
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितम्बर को भारत में हर वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन के लगभग 40 साल एक शिक्षक के रूप में दिए।
उनका मानना था कि “teachers should be the best minds in the country ” मतलब किसी भी देश के शिक्षक वहां के सबसे बेहतरीन मस्तिष्क वाले लोग होने चाहिए।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक बहुत ही अच्छे शिक्षक थे। जब वह भारत के राष्ट्रपति बने तो उनके शिष्यों और मित्रजनों ने उनसे आग्रह किया कि हम लोग आपका जन्मदिन हर साल पूरे देश में मानना चाहते हैं।
इस पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने कहा कि अगर आपको मेरा जन्मदिन मनाना ही है तो इसे “शिक्षक दिवस” के रूप में मनाईये। बस तभी से यह दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस यानि 5th सितम्बर को मनाया जाने लगा।
कैसे मनाया जाता है शिक्षक दिवस- Teacher’s day celebration in schools
शिक्षक का महत्व समझते हुए शिक्षक दिवस केवल भारत में ही नहीं बल्कि ज़्यादातर देश मनाते हैं। हाँ हर देश में ज़रूर ही शिक्षक दिवस मनाने की तारीख अलग अलग है। विश्व स्तर पर शिक्षक दिवस 5th अक्टूबर को मनाया जाता है।
यह दिन सभी विद्यालयों में बहुत ही धूमधाम और तैयारी के साथ मनाया जाता है। बच्चे अपने अध्यापकों को गिफ्ट्स और फूल देकर अपना अभिवादन प्रकट करते हैं। बहुत से स्कूल्स में इस दिन बड़ी कक्षा यानि दसवीं से बारहवीं तक के छात्र अपने पसंदिता अध्यापक के रूप में आते हैं और उनकी जगह पढ़ाते हैं।
मुझे याद है हमारे स्कूल में इस दिन एक अलग ही रौनक दिखती थी। बहुत ही मज़ा आता था इस दिन स्कूल में और बड़ी कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हुए देख कर। सभी के हाथो में गुलाब के फूल और हाथ से बनाये हुए ग्रीटिंग कार्ड्स होते थे जो वह अपने पसंदिता अध्यापक के लिए लाते थे।
वैसे तो मैंने कभी अध्यापक की जगह खुद को रखकर देखा नहीं पर आज सोचती हूँ तो महसूस कर पाती हूँ कि उन्हें कितना अच्छा फील होता होगा इस दिन।
Remembering our teachers | शिक्षक का महत्व
आज भी मैं अपने अध्यापकों को याद करके सोचती हूँ कि अगर वह ना होते और उन्होंने हमे अच्छे से शिक्षा न दी होती तो हम आज जो हैं वह न होते। मतलब एक इंजीनियर को इंजीनियर बनाना वाला या एक डॉक्टर को डॉक्टर बनाने वाला और कोई नहीं बल्कि एक अध्यापक ही होता है।
यह तो अच्छा है कि आज इतने सालो बाद भी हम अपने अध्यापकों से फेसबुक या सोशल मीडिया के ज़रिये जुड़े हुए हैं।
आज जहाँ ज़्यादातर लोगों ने शिक्षा को एक व्यवसाय बना दिया है और पैसा कमाने का एक जरिया बना लिया है – जिसमे महंगे कचिन सेंटर्स और महँगी फीस होती है वहीँ दूसरी ओर आनंद कुमार जैसे अध्यापक आज भी हैं जो अध्यापक और अच्छी शिक्षा का मतत्व समझते हैं और लगातार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि आगे आने वाली युवा पीढ़ी जिन पर देश का भविष्य निर्भर है वह पूरी तरह से शिक्षित हो और नए आयाम हासिल करें।
गुरू ब्रम्हा, गुरू विष्णु, गुरू देवो महेश्वरा, गुरू साक्षात परम्ब्रम्ह तस्मय श्री गुरूवनमः
गुरु का स्थान भारत में भगवान् से भी ऊपर माना गया है। उम्मीद है हम सभी 5th सितम्बर को अपने सभी गुरु और अध्यापकों को ज़रूर ही याद करेंगे और अपना अभिनन्दन प्रदान करेंगे। और हाँ अपने पहले गुरु मतलब अपने माता पिता को भी ज़रूर ही अध्यापक दिवस की शुभकामनायें दें।
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