Krishna Janmashtami in Hindi : पूजा विधि, भोग, व्रत एवं महत्व

Krishna Janmashtami in Hindi : पूजा विधि, भोग, व्रत एवं महत्व 

आज मैं आपको  Krishna Janmashtami in Hindi  ( कृष्ण जन्माष्टमी )  के बारे में प्रकाश डालने जा रहा हूँ, कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में बताने से पहले हम किस – किस विषय पे चर्चा करने वाले है उसपे एक छोटा सा प्रकाश डालना चाहूंगा | जिससे आपको कम समय में ज्यादा ज्ञान मिल सके | आज हम Krishna Janmashtami in Hindi  (कृष्ण जन्माष्टमी)   क्या होता है  , कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है ? साथ में पूजा की विधि क्या है ? आज हम इस विषय पे चर्चा करेंगे और आपको हमारा ब्लॉग (Krishna Janmashtami in Hindi )अच्छा लगे तो कमेंट जरूर करे |

Krishna Janmashtami in Hindi  ( कृष्ण जन्माष्टमी )

कृष्ण जन्माष्टमी आपको नाम से ही पता चल रहा है की भगवान् श्री कृष्ण के जन्म को बड़े धूम धाम से मनाना कृष्ण जन्माष्टमी
कहलाता है | कृष्ण जन्माष्टमी केवल भारत में ही नहीं पुरे विश्व में जहाँ – जहाँ भारतीय है सभी बड़े धूम – धाम से मनाते है | भगवान् श्री कृष्ण भगवान् विष्णु के आठवे अवतार थे और देवकी के आठवे पुत्र थे | दुष्ट कंस को मारने के लिए भगवान् विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में पृथ्वी पे मनुष्य के रूप में जन्म लिया था | उनका जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में मथुरा नगरी में हुआ था , इसलिए जो कृष्ण जन्माष्टमी मथुरावासी मनाते है वैसा कृष्ण जन्माष्टमी कहीं और नहीं मनाया जाता | आपने भगवद्गीता पढ़ा ही होगा जो आदि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन के रूप में प्रस्तुत करता है | भगवद्गीता हमे बताता है अधर्म पे धर्म की जीत , भगवद्गीता श्री कृष्ण के द्वारा महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिए गए उपदेश को दिखाता है , कैसे सभी अपने होते हुए भी धर्म की रक्षा के लिए अपनों का त्याग भी करना पड़ता है |

मथुरा की कृष्ण जन्माष्टमी देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है , उस दिन पुरे मथुरा को सजाया जाता है , उस दिन मथुरा ऐसा प्रतीत लगता है मानो पूरा मथुरा कृष्ण्मय हो गया है , सभी लोग कृष्ण के भक्ति में डूब गए हो , उस दिन ज्न्माष्टमी में स्त्री-पुरुष बारह बजे तक व्रत रखते हैं। मंदिरो को सजाया जाता है और झांकिया निकलती है और रात्रि में कृष्ण जी को झूले में झुलाया जाता है वो दृश्य बहुत ही मनमोहक प्रतीत लगता है और मानो खुद भगवान् कृष्ण धरती पे अवतरित हो गए है और रासलीला कर रहे है |

 नन्द के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की

जन्माष्टमी पर्व तिथि व मुहूर्त 2020

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020 को है |

जन्माष्टमी 2020

Date – 11 अगस्त 2020

पूजारात्रि 00:04 से 00:48

पारण– 11:15 (12 अगस्त 2020) के बाद

रोहिणी समाप्तरोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी

अष्टमी तिथि आरंभ 09:06 (11 अगस्त 2020)

अष्टमी तिथि समाप्त 11:15 (12 अगस्त 2020)

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ऐसे करे श्री कृष्णा की पूजा और विधि

-सबसे पहले एक साफ चौकी पर लाल \ पीला कपडा बिछाये |
-भगवान श्री कृष्णा की मूर्ति को चौकी के ऊपर एक पात्र  में रखे
-अपने श्रदा अनुसार धुप बत्ती और गाय के देशी घी का दीपक जलाये |
-हाथ जोड़कर भगवान् श्री कृष्णा की पूजा प्रार्थना करे |
-भगवान् श्री कृष्णा को दूध दही और पंचामृत से स्नान कराये और  उसके बाद गंगा जल से भी स्नान करवाए |
-अब भगवान् श्री कृष्णा को वस्त्र पहनाये और उनका अच्छी तरह श्रृंगार करे , भगवान् श्री कृष्णा को श्रृंगार बहुत ही पसंद है |
-भगवान् श्री कृष्णा को रोली या चन्दन का टिका लगाए |
-कोई भी पूजा करने से पहले सबसे पहले गणेश जी की पूजा करे और उसके बाद श्री कृष्णा की पूजा और आरती करे।
-भगवान् श्री कृष्णा जी को माखन और मिश्री बहुत ही पसंद था तो उनकी पसंदिता माखन और मिस्री रखे, अन्यथा अपनी इच्छा अनुसार कुछ और भी रख सकते है और साथ में तुलसी जरूर रखे |

उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणादायक है –

माँ यशोदा के लाडले श्री कृष्ण कन्हैया के बाल लीलाओ से सब परिचित है | आज भी हम कहीं भी बासुरी की धुन को सुनते है तो हमारे मन और आँखों में श्री कृष्ण कन्हैया मुरली की छबि दिखाई देती है | कैसे बचपन में अपनी माँ यशोदा को तंग करना, सबके घरो में चुपके से जाकर माखन चुरा कर खा जाना , बड़े भाई बलराम और ग्वालों के साथ गाय  चराना, और गोपियों के साथ रासलीला करना | श्री कृष्ण का नटखट बाल लीला जितना हमे आनन्द देता है उतना ही उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणादायक है |

महाभारत में अधर्म पर धर्म की जीत, अर्जुन को दिया गया वो गीता का उपदेश, जीवन में कोई भी क्यों न हो धर्म के लिए अपना सबकुछ कुर्बान करना ये सिखाता है गीता |

भगवद्गीता की एक – एक पंक्तिया हमारे जीवन में प्रेरणा दायक का कार्य करता है | हमे हमारे जीवन, धर्म -अधर्म का ज्ञान , जीवन का उतार-चढ़ाव के बारे में बताता है यही तो है भगवद्गीता का उपदेश , इन सभी चीज़ो को बताने के लिए ही भगवान् विष्णु ने मनुष्य के रूप में श्री कृष्णा जी का भेष लेकर जन्म लिए थे |

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