Gangaur Festival in hindi – गणगौर त्यौहार का महत्व , पूजा विधि , कथा व गीत

Gangaur Festival in hindi – गणगौर त्यौहार का महत्व , पूजा विधि , कथा व गीत

Gangaur Festival in hindi – दोस्तों हमारा भारत रंगों और त्यौहारों का देश है , जितना हमारे देश में राज्य है उस हिसाब से अपने अपने राज्य के अपना फेस्टिवल भी होते है और उतनी तरह की संस्कृति भी है इसलिए भारत को विभिन्नताओं वाला देश बोला जाता है । ऐसे ही आज मैं आपके लिए एक फेस्टिवल लेकर आया हूँ जिसका नाम है गणगौर । ये राजस्थान का बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है जिसको गणगौर माता के रूप में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है । आज मैं आपको गणगौर माता का महत्व , पूजा करने की विधि , कथा व गीत के बारे में आपको पूरी जानकारी आपको स्मार्ट ज़िन्दगी के इस लेख(Gangaur Festival in hindi) में पूरा मिलेगा । आप खुद पढ़िए और अपने दसौतों , रिश्तेदारों को भी हमारे इस पोस्ट को शेयर जरूर करे ताकि उनके भी एक अच्छा सा लेख पढ़ने को मिले ।

Gangaur Festival in hindi
Gangaur Festival in hindi

गणगौर त्यौहार 2023 हाईलाइट – Gangaur Festival in hindi  2023 Highlight

नाम  गणगौर त्यौहार
2023 में कब है  8 मार्च 2023
कब मनाया जाता है  चैत्र नवरात्र के तृतीय तिथि पर
किसकी भगवान् की पूजा की जाती है  भगवान् शिव एवं माता पार्वती की

गणगौर पूजा का महत्व – (Gangaur Festival Mahtav)

गणगौर त्यौहार एक ऐसा पर्व है जो हर एक स्त्री द्वारा मनाया जाता है चाहे वो कुंवारी हो या शादी – शुदा , इसको हर एक स्त्री बहुत ही धूम धाम से मनाती है , इस गणगौर त्यौहार में भगवान् शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत पूर्वक किया जाता है । इस पूजा का महत्व इसलिए भी है की इसमें कुंवारी लड़िकिया अच्छे पति व वर पाने के लिए पूजा करती है और शादी शुदा महिला अपने पति के दीर्घायु के लिए पूजा करती है । ये सोलह दिन चलने वाली पूजा होती है इसमें कंवरी कन्या अच्छे से तैयार होकर और विवाहित स्त्री सोलह श्रृंगार करके सोलह दिनों तक विधिवत भगवान् शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती है । आईये अब आपको पूजा में लगने वाली सामग्री के बारे में बताता हूँ । ताकि जिनको इनके बारे में जानकारी नहीं है वो यहाँ से प्राप्त जानकारी के हिसाब से पूजा सामग्री की व्यवस्ता कर सकते है । 

गणगौर पूजन सामग्री (Gangaur Festival Poojan Samagri )

लकड़ी की चौकी/बाजोट/पाटा

दो मिट्टी के कुंडे

ताम्बे का कलश

मिट्टी का दीपक

काली मिट्टी/होली की राख़

कुमकुम, चावल,

हल्दी, मेहन्दी,

धुप , अगरबत्ती , कपूर

गुलाल, अबीर,

काजल , घी

पानी से भरा कलश

फूल,दुब,आम के पत्ते

पान के पत्ते

नारियल

सुपारी

गेहू

बॉस की टोकनी

गणगौर के कपडे

चुनरी का कपड़ा

उद्यापन की सामग्री

उपरोक्त सभी सामग्री, उद्यापन मे भी लगती है परन्तु, उसके अलावा भी कुछ सामग्री है जोकि, आखरी दिन उद्यापन मे आवश्यक होती है.

सीरा (हलवा)

आटे के गुने (फल)

पूड़ी

गेहू

साड़ी

चूड़ी , बिंदी

सुहाग या सोलह श्रंगार का समान आदि

गणगौर पूजन की विधि (Gangaur Poojan Vidhi)

गणगौर की पूजा में सबसे पहले एक चौकी लगाकर उसपे साथिया बनाते है और उसके ऊपर पानी से भरा कलश रख देते है और कलश के ऊपर पान के पत्ते और उसके ऊपर नारियल रखते है । अब सुफारी ( गणेश रूप बना ) कर अपने हिसाब से पैसे का चढ़ावा करते है ।

फिर चौकी पे होली की राख या काली मिट्ठी से सोलह छोटी – छोटी पिंडी बनाते है , और इसके ऊपर चावल या कुमकुम से पूजा अर्चना करते है । उसके बाद गणगौर के गीत गाये जाते है और पानी का कलश साथ में रख कर गणगौर के सोलह सोलह बार गीत गाये जाते है । उसके बाद गणेश जी की पूजा की जाती है और सूर्यभगवान को अर्क दिया जाता है ।

गणगौर माता की कथा / कहानी (gangaur ki kahani)

राजा का बोया जो-चना, माली ने बोई दुब. राजा का जो-चना बढ़ता जाये पर, माली की दुब घटती जाये. एक दिन, माली हरी-हरी घास मे, कंबल ओढ़ के छुप गया. छोरिया आई दुब लेने, दुब तोड़ कर ले जाने लगी तो, उनका हार खोसे उनका डोर खोसे. छोरिया बोली, क्यों म्हारा हार खोसे, क्यों म्हारा डोर खोसे , सोलह दिन गणगौर के पूरे हो जायेंगे तो, हम पुजापा दे जायेंगे. सोलह दिन पूरे हुए तो, छोरिया आई पुजापा देने माँ से बोली, तेरा बेटा कहा गया. माँ बोली वो तो गाय चराने गयों है, छोरियों ने कहा ये, पुजापा कहा रखे तो माँ ने कहा, ओबरी गली मे रख दो. बेटो आयो गाय चरा कर, और माँ से बोल्यो माँ छोरिया आई थी , माँ बोली आई थी, पुजापा लाई थी हा बेटा लाई थी, कहा रखा ओबरी मे. ओबरी ने एक लात मारी, दो लात मारी ओबरी नही खुली , बेटे ने माँ को आवाज लगाई और बोल्यो कि, माँ-माँ ओबरी तो नही खुले तो, पराई जाई कैसे ढाबेगा. माँ पराई जाई तो ढाब लूँगा, पर ओबरी नी खुले. माँ आई आख मे से काजल, निकाला मांग मे से सिंदुर निकाला , चिटी आंगली मे से मेहन्दी निकाली , और छीटो दियो ,ओबरी खुल

गई. उसमे, ईश्वर गणगौर बैठे है ,सारी चीजों से भण्डार भरिया पड़िया है. है गणगौर माता , जैसे माली के बेटे को टूटी वैसे, सबको टूटना. कहता ने , सुनता ने , सारे परिवार ने.

गणगौर पूजते समय का गीत (Gangaur Geet)/gangaur pooja

यह गीत शुरू मे एक बार बोला जाता है और गणगौर पूजना प्रारम्भ किया जाता है –

प्रारंभ का गीत

गोर रे, गणगौर माता खोल ये , किवाड़ी

बाहर उबी थारी पूजन वाली,

पूजो ये, पुजारन माता कायर मांगू

अन्न मांगू धन मांगू , लाज मांगू लक्ष्मी मांगू

राई सी भोजाई मंगू.

कान कुवर सो, बीरो मांगू इतनो परिवार मांगू..

उसके बाद सोलह बार गणगौर के गीत से गणगौर पूजी जाती है.

सोलह बार पूजन का गीत

गौर-गौर गणपति ईसर पूजे, पार्वती

पार्वती का आला टीला, गोर का सोना का टीला.

टीला दे, टमका दे, राजा रानी बरत करे.

करता करता, आस आयो मास

आयो, खेरे खांडे लाडू लायो,

लाडू ले बीरा ने दियो, बीरों ले गटकायों.

साडी मे सिंगोड़ा, बाड़ी मे बिजोरा,

सान मान सोला, ईसर गोरजा.

दोनों को जोड़ा ,रानी पूजे राज मे,

दोनों का सुहाग मे.

रानी को राज घटतो जाय, म्हारों सुहाग बढ़तों जाय

किडी किडी किडो दे,

किडी थारी जात दे,

जात पड़ी गुजरात दे,

गुजरात थारो पानी आयो,

दे दे खंबा पानी आयो,

आखा फूल कमल की डाली,

मालीजी दुब दो, दुब की डाल दो

डाल की किरण, दो किरण मन्जे

एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,

तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह.

सोलह बार पूरी गणगौर पूजने के बाद पाटे के गीत गाते है

पाटा धोने का गीत

पाटो धोय पाटो धोय, बीरा की बहन पाटो धो,

पाटो ऊपर पीलो पान, म्हे जास्या बीरा की जान.

जान जास्या, पान जास्या, बीरा ने परवान जास्या

अली गली मे, साप जाये, भाभी तेरो बाप जाये.

अली गली गाय जाये, भाभी तेरी माय जाये.

दूध मे डोरों , म्हारों भाई गोरो

खाट पे खाजा , म्हारों भाई राजा

थाली मे जीरा म्हारों भाई हीरा

थाली मे है, पताशा बीरा करे तमाशा

ओखली मे धानी छोरिया की सासु कानी..

ओडो खोडो का गीत

ओडो छे खोडो छे घुघराए , रानियारे माथे मोर.

ईसरदास जी, गोरा छे घुघराए रानियारे माथे मोर..

(इसी तरह अपने घर वालो के नाम लेना है )

गणपति जी की कहानी (Ganesh Kahani)

एक मेढ़क था, और एक मेंढकी थी. दोनों जनसरोवर की पाल पर रहते थे. मेंढक दिन भर टर्र टर्र करता रहता था. इसलिए मेंढकी को, गुस्सा आता और मेंढक से बोलती, दिन भर टू टर्र टर्र क्यों करता है. जे विनायक, जे विनायक करा कर. एक दिन राजा की दासी आई, और दोनों जना को बर्तन मे, डालकर ले

गई और, चूल्हे पर चढ़ा दिया. अब दोनों खदबद खदबद सीजने लगे, तब मेंढक बोला मेढ़की, अब हम मार जायेंगे. मेंढकी गुस्से मे, बोली की मरया मे तो पहले ही थाने बोली कि ,दिन भर टर्र टर्र करना छोड़

दे. मेढको बोल्यो अपना उपर संकट आयो, अब तेरे विनायक जी को, सुमर नही किया तो, अपन दोनों मर जायेंगे. मेढकी ने जैसे ही सटक विनायक ,सटक विनायक का सुमिरन किया इतना मे, डंडो टूटयों हांड़ी फुट गई. मेढक व मेढकी को, संकट टूटयों दोनों जन ख़ुशी ख़ुशी सरोवर की, पाल पर चले गये. हे विनायकजी महाराज, जैसे मेढ़क मेढ़की का संकट मिटा वैसे सबका संकट मिटे. अधूरी हो तो, पूरी कर जो,पूरी हो तो मान राखजो.

गणगौर अरग के गीत

पूजन के बाद, सुरजनारायण भगवान को जल चड़ा कर गीत गाया जाता है.

अरग का गीत

अलखल-अलखल नदिया बहे छे

यो पानी कहा जायेगो

आधा ईसर न्हायेगो

सात की सुई पचास का धागा

सीदे रे दरजी का बेटा

ईसरजी का बागा

सिमता सिमता दस दिन लग्या

ईसरजी थे घरा पधारों गोरा जायो,

बेटो अरदा तानु परदा

हरिया गोबर की गोली देसु

मोतिया चौक पुरासू

एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,

तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह.

गणगौर को पानी पिलाने का गीत

सप्तमी से, गणगौर आने के बाद प्रतिदिन तीज तक (अमावस्या छोड़ कर) शाम मे, गणगौर घुमाने ले जाते है. पानी पिलाते और गीत गाते हुए, मुहावरे व दोहे सुनाते है.

पानी पिलाने का गीत

म्हारी गोर तिसाई ओ राज घाटारी मुकुट करो

बिरमादासजी राइसरदास ओ राज घाटारी मुकुट करो

म्हारी गोर तिसाई ओर राज

बिरमादासजी रा कानीरामजी ओ राज घाटारी

मुकुट करो म्हारी गोर तिसाई ओ राज

म्हारी गोर ने ठंडो सो पानी तो प्यावो ओ राज घाटारी मुकुट करो..

(इसमें परिवार के पुरुषो के नाम क्रमशः लेते जायेंगे. )

Gangaur Mata ke Dohe in Hindi – गणगौर माता के दोहे …

भारत भिन -भिन रंगो से भरा  एक देश है , भारत में जितना राज्य है उतने प्रकार का संस्कृति भी है , जहा सभी लोग मिलकर बहुत धूम – धाम से आनद लेते है , भारत में एक ऐसा राज्य है जहा पे गणगौर माता की पूजा की जाती है और वो राज्य है राजस्थान , राजस्थान में एक समुदाय है जिसको मालवाड़ी बोला  जाता है , मालवाड़ी लोग गणगौर माता की पूजा बहुत ही विधवत तरीके से करते है, उनके श्रद्धा और समर्पण को देखते हुए आज मैं उनके लिए गणगौर  (Gangaur) माता के कुछ दोहे लिखा हूँ , आशा है मुझे की आप सभी लोगो को मेरे ये दोहे पसंद आएंगे ।।

गणगौर माता के दोहे (Gangaur Mata ke Dohe)

जात है गुजरात है, गुजरात का बाणया खाटा खूटी ताणया
गिण मिण सोला, सात कचोला इसर गोरा
गेहूं ग्यारा, म्हारो भाई ऐमल्यो खेमल्यो, लाडू ल्यो ,
पेडा ल्यो जोड़ जवार ल्यो, हरी हरी दुब ल्यो, गोर माता पूज ल्यो

Gangaur ke dohe hindi me

भावज ले गटकायगी, चुन्दडी ओढायगी
चुन्दडी म्हारी हरी भरी,
शेर सोन्या जड़ी शेर मोतिया जड़ी, ओल झोल गेहूं सात
गोर बसे फुला के पास, म्हे बसा बाणया क पास
कीड़ी कीड़ी लो, कीड़ी थारी जात है

गोरा के मन में है, ईसर, राधा के मन में श्याम

जो मेरे मन को भावे पिया जी है उनका नाम।

किसी को वाइट पसंद है, किसी को लाइट पसंद है

मुझे तो पिया जी की हाइट पसंद है।

बगीचे में क्यारी, क्यारी में पानी,

 पिया जी मेरे राजा, मैं पिया जी की रानी।

सोने के कड़े में हीरे जड़े

पीछे पलट के देखा तो पिया जी खड़े।

Gangaur ke dohe in hindi

गौर गौर गणपति, ईसर पूजे पार्वती,पार्वती के आला टिका,
गौर के सोने का टिका, माथे है रोली का टिका,
टिका दे चमका दे राजा राजना वरत करे।
Gangaur ke dohe in hindi
हल्दी गांठ गठीली ईसर राज की ब्रह्मदास की बहू है हठीली,
मांगी सोना री बिंदी, बिंदी बेच घड़ाई बई पारो झमकाई।
Gangaur ke dohe in hindi
आया रे आया गणगौर का त्यौहार है आया
संग में खुशियां और प्यार है लाया
गणगौर की ढेर सारी शुभकामनायें

Gangaur Mata ke Dohe in हिंदी / Gangaur Festival in hindi

घडी दोय जावता पलक दोय आवता 
सहेलियाँ में बातां चितां लागी हो रसीया 
घडी दोय खेलवाने जावादो 
थारो नथ भलके थारो चुड़लो चमके 
थारा नेना रा निजारा प्यारा लागे हो मारुजी 
थारा बिना जिवडो भुल्यो डोले

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