Ganesh Chaturthi in Hindi 2020 : गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व
आज मैं आपको Ganesh Chaturthi in Hindi (गणेश चतुर्थी) के बारे में प्रकाश डालने जा रहा हूँ, गणेश चतुर्थी के बारे में बताने से पहले हम किस – किस विषय पे चर्चा करने वाले है उसपे एक छोटा सा प्रकाश डालना चाहूंगा | जिससे आपको कम समय में ज्यादा ज्ञान मिल सके | आज हम Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी) क्या होता है और गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है ? साथ में पूजा की विधि क्या है और विसर्जन क्यों करते है और परौरीक कथा गणेश चतुर्थी का | आज हम इस विषय पे चर्चा करेंगे और आपको हमारा ब्लॉग (Ganesh Chaturthi in Hindi )अच्छा लगे तो कमेंट जरूर करे |
गणेश चतुर्थी
Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी) हमारे हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है वैसे देखा जाए तो ये पुरे भारत वर्ष में धूम – धाम से मनाया जाता है परन्तु जो महाराष्ट्र के लोग बड़े धूम धाम से मनाते है वैसा कहीं और मनाया नहीं जाता , महाराष्ट्र के लोग इसे बहुत ही ज्यादा धूम – धाम से मनाते है | हमारे पुराणों के अनुसार कहा गया है की इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था इसी वजह से इस दिन हम गणेश चतुर्थी मनाते है इनके जन्म के बारे में बहुत सारी कथाएँ है जिसके बारे में मैं प्रकाश डालूंगा |
गणेश उत्सव क्यों मनाते है ?
वैसे तो आपने टीवी- सीरियल में , किताबो में बहुत जगह कहीं न कहीं देखा होगा या पढ़ा होगा कि गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है , मैं आज आपको इसके ऊपर एक छोटा सा प्रकाश डालना चाहूंगा जो एक प्रमुख कारण है इसको मनाने का , एक बार सभी देवताओं में एक प्रश्न उठा की प्रथम पूज्य किसे माना जाये तो इस सवाल का उतर जानने के लिए सभी देवता गण भगवान् शिव जी के पास गए तब भगवान् शिव जी ने बोला जो भी सम्पूर्ण पृथ्वी का चक्कर लगा कर जो सबसे पहले आएगा उसको ही प्रथम पूज्य माना जायेगा , इस प्रकार सभी देवता अपने – अपने सवारी पर बैठ कर निकल गए किन्तु गणेश जी अपने मूषक पे बैठ कर शिव जी और पार्वती जी का तीन चक्कर लगा कर प्रक्रिमा पूरा किया , तब शिव जी मुस्कुरा कर बोले आप ने तो अपने बुद्धि का उपयोग करके तीनो लोक ( देवलोक ,भूलोक और पताल लोक) का चक्कर लगा लिया क्योकिं जो लोग अपने माता – पिता की प्रक्रिमा करते है वो धन्य होते है और तभी से भगवान् गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया |
बस उसी दिन से सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है फिर दूसरे देवताओं की पूजा की जाती है |
इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन भगवान् गणेश की पूजा की जाती है और इस दिन भगवान् गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है और स्थापित की गयी भगवान् गणेश की प्रतिमा को ग्यारहवे दिन अनन्त चतुर्दशी के दिन विसर्जित करते है |
शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण तिथि माना गया है जबकि गणेश पुराण के अनुसार यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ का अर्थ पवित्रक। ‘पति’ का अर्थ स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकों के स्वामी
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गणेश उत्सव 10 दिनों तक क्यों मनाते है और विसर्जन क्यों करते है ?
हिन्दू ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है जब वेद व्यास जी ने भगवान् गणेश जी को लगातार दस दिनों तक महाभारत की कथा सुनाया था तब उन्होंने अपने नेत्रों को बंद कर लिया था और जब दस दिन बाद नेत्र खोला तो पाया भगवान् गणेश जी का शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो गया था , तब वेदव्यास जी ने उनको पास के एक तलाब में स्नान करवाया था ताकि उनका तापमान कम हो जाये इसी कारण दस दिनों तक भगवान् गणेश जी की पूजा की जाती है और ग्यारहवे दिन भगवान् गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है और इस दिन को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है |
“गणपति बप्पा अगले बरस तुम जल्दी आना …जल्दी आना”
कथा
वैसे तो बहुत सी कथाएं है किन्तु जो सबसे प्रमुख कथा है उसके बारे में वर्णन करना चाहूंगा , हमारे शिवपुराण के अन्तर्गत रुद्रसंहिताके चतुर्थ (कुमार) खण्ड में ये वर्णन है कि जब माता पार्वती स्नान कर रही थी तब अपने मैल के द्वारा एक बहुत ही सुन्दर बालक को उत्पन करके उसको द्धारपाल बना दिया और माता पार्वती जी ने बोला कोई भी देवता गण , मनुष्य किसी को भी अंदर आने मत देना , तब गणेश जी ने अपनी माता की बात मान कर द्वार पे खड़े हो गए तभी भगवान् शिव जी आये , तब गणेश जी ने उनके मार्ग को रोका और बोले आप अंदर नहीं जा सकते , शिव जी के बहुत बार समझाने के बाद भी गणेश जी ने उनके रास्ते को रोका और अंदर नहीं जाने दिया , तब शिव जी ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से गणेश जी का गर्दन धड से अलग कर दिया , तभी माता पार्वती जी आयीं और ये सब देख कर बहुत रोयीं और बोली आपने ये क्या कर दिया , ये हमारा पुत्र था जिसकी आपने हत्या कर दिया , और क्रोध में आकर सभी लोको का नाश करने का ठान लिया , तब सभी देवता गण देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया और शिव जी के निर्देश पर भगवान् विष्णु जी ने पृथ्वी पर जाकर एक हाथी के गर्दन को काट कर ले आये और उस मस्तक को बालक के धड पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया और माता पार्वती जी ने उसको आपने गले से लगा लिया और तभी से उनको गजानन के नाम से भी पुकारा जाने लगा |
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व्रत और पूजा की विधि:
गणेश चतुर्थी 2020
दिनांक : 22 अगस्त २०२०
मध्याह्न गणेश पूजा – 11:07 से 13:41
चंद्र दर्शन से बचने का समय- 09:07 से 21:26 (22 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि आरंभ- 23:02 (21 अगस्त 2020)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 19:56 (22 अगस्त 2020)
कैसे करें गणपति की स्थापना?
-गणपति की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन की जाती है |
-गणपति की स्थापना करने से पहले अच्छी तरह स्नान कर लेना चाहिए और नया वस्त्र या साफ धुले हुए कपड़े पहन कर ही स्थापना करना चाहिए |
-पूजा में जितने लोग हो सबके माथे पे तिलक लगा कर और पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाना चाहिए |
-गणेश जी की प्रतिमा को किसी लकड़ी के पटरे या गेहूं, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर उसपे ही स्थापना करना चाहिए और दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक स्वरूप एक-एक सुपारी रखें , रिद्धि-सिद्धि भगवान् गणेश जी की पत्नियां है |
गणेश चतुर्थी की पूजन विधि
-सबसे पहले गणेश जी के प्रतिमा को जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान करें |
-फिर गाय के घी का दीपक जलाये |
-अब गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं और वस्त्र न हो तो धागा भी चढ़ा सकते है क्योकि पूजा मन से की जाती है |
-अब गणेश जी को फूल , धुप बत्ती , सिंदूर और अपने सुविधा अनुसार मिठाई , गुड़ और फल चढ़ाए , ऐसा माना गया है की गणेश जी को मोदक बहुत ही पसंद है तो यदि मोदक का चढ़ावा चढ़ाया जाये तो बहुत ही अच्छा है |
-अब गणपति जी की आरती पुरे मन से दिया जलाकर और कपूर के साथ करें और अपने परिवार और समाज के लिए जो आपके मन में इच्छा हो उसको मांगे |
-और पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें और बोले भूल चूक माफ़ करें |
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