दिवाली 2020 (Diwali 2020): मुहूर्त व पूजा विधि
दिवाली या दीपवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला हिन्दुओ का एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है , जिसे पुरे भारत मे ही नहीं लगभग पुरे विश्व में धूम – धाम से मनाया जाता है , दीवाली अक्सर Oct या Nov के महीने में पड़ने वाला हिन्दुओ का सबसे मह्त्वपूर्ण त्योहारों मे से एक है | दीपावली दीपो का त्यौहार है | आध्यात्मिक रूप से देखा जाये तो ये ” अंधकार पर प्रकाश की विजय ” को दर्शाता है | “तमसो मा ज्योतिर्गमय” अर्हात् (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए, ये संदेश दीपावली दर्शाता है, एक सरल भाषा मे कहा जाये तो हिन्दू धर्म मे सभी त्योहारों मे दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है |
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है। इसके उत्सव मे घर, द्वार , मंदिर, मार्ग सभी जगहों की अच्छी तरह साफ़ सफाई करने के बाद दीपावली के दिन नये या साफ़ सुथरा कपड़ा पहने कर पूजा करते है और दिया जलाते है जिससे पूरा वतावरण प्रकाशमय हो जाता है |
दीपावली क्यों मनाया जाता है और मनाने के पीछे की कहानी ?
दीपावली क्यों मनाया जाता है इसके पीछे बहुत सारी कहानियाँ है , उनमे से एक दो कहानी आज मैं आपको बताना चाहूंगा | जो सबसे प्रसिद्ध कहानी है रामायण की जो सभी लोग जानते है , कहा जाता है इस दिन भगवान् श्री राम , माता सीता और अपने भ्राता लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष का वनवास काट कर अपने घर अयोध्या आये थे , इस ख़ुशी को अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर स्वागत किया था , इसी कारण अयोध्या में जो दीवाली मनाया जाता है सभी जगह से अलग होता है वह का दीवाली बहुत ही मनमोहक होता है |
जो दूसरी कहानी है वो बहुत ही कम लोग ही जानते है कहा जाता है इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी किया था। यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है। इन सभी कारणों से हम दीपावली का त्योहार मनाते हैं।
भारत के कुछ क्षेत्रों में दिवाली को यम और नचिकेत की कथा के साथ भी जोड़ते है , नचिकेत की कथा जो सही बनाम गलत , ज्ञान बनाम अज्ञान , सच्चा धन बनाम क्षणिक धन इत्यादि के बारे में बताता है जो पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है |
पर्वों का समूह दीपावली
दीवाली का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत ही बड़ा है , दिवाली एक दिन का पर्व नहीं ये तो पर्वो को समूह है , ऐसा समूह जो दशहरे के तुरंत बाद ही दिवाली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है | दूकान , बाजार चारो तरफ जनसमूह उमड़ पड़ता है | धनतेरस के दिन तो मार्किट में लोग इतना खरीदारी करते है जितना पुरे साल में कभी नहीं किया हो, कहा जाता है धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है| आप इसी से अंदाजा लगा सकते है की दिवाली से एक महीना पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है, एक तरह से दिवाली शॉपिंग का सीजन है , बच्चे हो या बूढ़े , महिला हो या पुरुष सभी लोग इस दिन का इंतज़ार करते है , इसकी तैयारी का अंदाज़ा इसी से लगा सकते है की लोग तरह तरह के नए कपडे , नए समान , रंग बिरंगी रंगोलिया बनाना , घर में नए रंग लगवाते है , बच्चे मिट्ठी का छोटा सा घर बनाते है, धनतेरस के दिन नए नए चीज़ खरीदते है और तरह तरह के पटाके दिवाली के दिन फोड़ते है , दिवाली के दिन लोग अच्छी तरह तैयार होकर नए नए कपडे पहनते है और अपने घर के बाहर और अपने घर के आंगन में एक से बढ़ कर एक रंगोली बनाते है , और शाम को लोग धूम धाम से पूजा करते है और दीप जलाते है |
दीवाली की प्रार्थनाएं
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
ऊपर दिए गए स्लोग का अनुबाद है –
असत्य से सत्य की ओर।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर।(हमें ले जाओ)
ॐ शांति शांति शांति।।
परम्परा
दिवाली मनाने की परम्परा क्षेत्र के हिसाब से थोड़ा थोड़ा अलग एक दूसरे से हो सकता है , परन्तु सबका सन्देश एक ही होता है | अंधकार पर प्रकाश का यह पर्व समाज में उल्लास , भाई – चारे व प्रेम का सन्देश देता है , यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है | ये पर्व आपसी भेद भाव को भुला कर एक दूसरे के करीब ले आता है यही खासियत है दिवाली का |
दिवाली पर्व तिथि व मुहूर्त 2020
दिवाली 2020 (Diwali 2020) पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त | |
दिनांक | 14 नवंबर 2020 |
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त | 17:30:10 से 19:26:01 तक |
अवधि | 1 घंटे 55 |
प्रदोष काल | 17:27:47 से 20:07:03 तक |
वृषभ काल | 17:30:10 से 19:26:01 तक |
दिवाली 2020 पर इस प्रकार से करें लक्ष्मी पूजन
दिवाली के दिन माना जाता है की इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पे आती , इसी वजह से इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है , आज मैं आपको इस दिन कैसे पूजा की जाती है वो बताएंगे, वैसे तो पूजा पाठpure मैं और श्रद्धा से कैसे भी किया जाए वही अच्छा होता है , फिर भी मैं आज आप लोगो को एक सामान्य पूजा कैसे की जाती है |
पूजा करने से पहले अपने घर, अपने आप को अच्छी तरह साफ़ सफाई कर लेना चाहिए, और नए कपडे या साफ़ सुठले कपडे पहनना चाहिए |
इसके बाद मंदिर समेत पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
पूजा स्थल की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसमें लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति को अच्छे से रखें।
अब आप जितना भी दीया जलाना चाहते है अपने कुल देवता , अपने आराध्य देवता के नाम से उतने दीये जला कर , घर के अंदर , अपने मंदिर , अपने घर के बाहर दीये रखे क्यकि दिवाली दीयों का त्यौहार है , बिना दीयों के दिवाली नहीं |
अब घी का दीपक जलाकर आरती शुरू करें।
याद रखें पूजा में जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल जरूर होने चाहिए। माता की पूजा पूरे परिवार के साथ ही करनी चाहिए। पूजा संपन्न होने के बाद सभी में प्रसाद बाँट दें।
मेरा सुझाव मेरा विचार
मेरा एक छोटा सा सुझाव है यदि आप लोगो को अच्छा लगे तो जरूर इसको फॉलो करे , दिवाली के दिन हमे अपने आसपास के लोगो का ख्याल रखना चाहिए , ऐसे लोग जो इस दिन सक्षम नहीं है दिवाली को मनाने में , हमे अपने मन से जितना हो सके उतना अपने आसपास के गरीब लोगो का ख्याल रख कर उस दिन कुछ न कुछ मदद किया जाये ताकि हमारी एक छोटी सी ख़ुशी उनके घरों में एक दीया जलाने का काम आ सके , तो चले एक हाथ बढ़ाने उन गरीब मजदूरों का |